1. फसलों की एमएसपी दर को उत्पादन लागत के अनुरूप तय करना और हर साल इसमें 25 प्रतिशत की वृद्धि करना आवश्यक है। इससे न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है बल्कि पूरे कृषि क्षेत्र में भी सकारात्मक परिवर्तन आता है। सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए ताकि किसानों का भविष्य सुरक्षित और समृद्ध हो सके।।
2. भारत देश जो किसानों के प्रमुख आधार से चलता है, वहाँ कृषि उत्पादन का महत्व अत्यधिक है। किसानों की मेहनत से उत्पन्न होने वाली फसलें उनके आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इसके लिए किसानों को उचित मूल्य मिलना अत्यंत आवश्यक है। इसलिए, फसलों की एमएसपी दर को लागत के अनुरूप तय करना महत्वपूर्ण है।
3. किसानों को उनकी मेहनत के अनुसार उचित मूल्य प्राप्त करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। फसलों की एमएसपी दर को लागत के अनुरूप तय करने से किसानों को न्यायसंगत मूल्य मिलेगा और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। यह न केवल किसानों को प्रोत्साहित करेगा, बल्कि कृषि उत्पादन में भी वृद्धि को प्रोत्साहित करेगा।
4. हर साल एमएसपी दर में कम से कम 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी की जरूरत है। इससे किसानों को निरंतर आर्थिक सहायता मिलेगी और उनकी स्थिति में सुधार होगा। यह बढ़ोतरी किसानों के लिए एक प्रोत्साहन होगा और उन्हें और अधिक मेहनत करने के लिए प्रेरित करेगा। इससे कृषि उत्पादन में भी वृद्धि होगी और देश की आत्मनिर्भरता में महत्वपूर्ण योगदान होगा।
5. एमएसपी दर में बढ़ोतरी का अर्थिक पक्ष भी है। यह कृषि क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देगा और उत्पादन को बढ़ावा देगा। इससे अनेक रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे और ग्रामीण क्षेत्रों में विकास होगा। इससे अर्थव्यवस्था में सुधार होगा और देश की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
6. समाज में एक स्थायी रोजगार सृजन होगा और गरीब वर्ग की आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा। यह आर्थिक सामर्थ्य को बढ़ाएगा और लोगों की जीवनशैली में सुधार लाएगा।
7. इसलिए, फसलों की एमएसपी दर को लागत के अनुरूप तय करना और हर साल इसमें कम से कम 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी करना आवश्यक है। इससे किसानों को न्यायसंगत मूल्य मिलेगा और उनकी स्थिति में सुधार होगा। इससे वे अधिक मेहनत करेंगे और उत्पादन में वृद्धि होगी, जिससे देश की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
1. किसानों द्वारा बेची गई फसल हो या सरकार द्वारा अधिग्रहित जमीन, भुगतान 7 दिन के भीतर किसान के खाते में पहुंच जाना चाहिए। यदि खरीदार को भुगतान करने में 7 दिन से अधिक समय लगता है, तो किसान को भुगतान पर 8 प्रतिशत मासिक चक्रवृद्धि ब्याज मिलना चाहिए।
2. इस प्रस्ताव के माध्यम से किसानों को समय पर उनकी भुगतान मिलने की सुनिश्चितता होगी। यह उन्हें आर्थिक स्थिति में सुधार का एक माध्यम प्रदान करेगा। साथ ही, यदि भुगतान में देरी होती है, तो उन्हें अधिक ब्याज का लाभ मिलेगा, जो उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारने में मदद करेगा।
3.सरकार पीएम किसान योजना में सुधार करे ताकि अधिक से अधिक किसान इसका लाभ उठा सकें। भविष्य में, इस योजना के तहत और भी अधिक लाभ किसानों को प्रदान किए जा सकते हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और मजबूत हो सके ।
4.इस किसान योजना प्रस्ताव से किसानों का भरोसा बढ़ेगा क्योंकि उन्हें उनकी मेहनत का मूल्य समय पर मिलेगा। साथ ही, यह उन्हें सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से भी मजबूती प्रदान करेगा। इससे किसानों की आत्मविश्वास में भी वृद्धि होगी और वे अधिक मेहनत करके अधिक उत्पादन करेंगे।।
1.कृषि क्षेत्र में किसानों द्वारा पिछले वर्ष तक लिए गए फसली ऋण पूर्णतः माफ किये जाने और नए दिए गए फसली ऋण पूर्णतः ब्याज मुक्त किये जाने की मांग, किसानों के मौजूदा स्थिति के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव है। यह प्रस्ताव किसानों को आर्थिक संकट से निकालने में सहायक हो सकता है और उन्हें नई उत्पादन की दिशा में अधिक सकारात्मक दिशा में ले जा सकता है। ।
2. किसानों के लिए फसली ऋण का प्राप्त करना आम बात है। यह उन्हें खेती में नवीनतम तकनीकी और सामग्री की खरीद पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है, जो उनके उत्पादन को बढ़ावा देता है। हालांकि, किसानों के लिए ऋण की चुकानी कई बार सर्षपूर्ण हो सकती है, विशेष रूप से जब उत्पादन में किसी कारणवश नुकसान होता है। इससे उनकी आर्थिक स्थिति और भी कठिन हो जाती है।
3. इस संदर्भ में, पिछले वर्ष तक लिए गए फसली ऋण को पूर्णतः माफ करना किसानों के लिए एक बड़ी सहायता होगी। यह किसानों को आर्थिक बोझ से राहत देगा और उन्हें नए उत्पादन की दिशा में फिर से उत्साहित करेगा। वे नए ऋण के लिए निवेश करने के लिए आत्मनिर्भर हो सकेंगे, बिना पिछले कार्यकाल के लाभ और अतिरिक्त ब्याज के चिंता के। इस प्रकार, यह उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार और उत्पादन में वृद्धि को बढ़ावा देगा।
4. वहीं, नए दिए गए फसली ऋण पर ब्याज को पूर्णतः माफ करना भी एक उत्तेजक प्रस्ताव है। यह किसानों को उत्पादन में अधिक रुचि और उत्साह प्रदान करेगा, क्योंकि उन्हें ब्याज की चिंता की जगह उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करने का मौका मिलेगा। इससे किसान नए तकनीकों और उत्पादन विधियों को अपना सकेंगे, जिससे उनका उत्पादन बेहतर होगा और उन्हें अधिक लाभ होगा।
5.इस प्रस्ताव के माध्यम से, पीएम किसान योजना के तहत किसानों के साथ सशक्त साझेदारी करते हुए उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकती है और कृषि क्षेत्र को विकसित करने में मदद कर सकती है। यह प्रस्ताव किसानों के उत्पादन को बढ़ावा देगा, जिससे वे आर्थिक रूप से स्वावलंबी हो सकेंगे और देश के कृषि क्षेत्र की उत्थान-अध्ययन में मदद करेंगे।
1. ब्याज मुक्त खाद, दवा और बीज से कृषि क्षेत्र में सुधार होगा। इससे किसानों की उपज में वृद्धि होगी और उनकी आय में सुधार होगा। कृषि क्षेत्र का विकास देश के विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा।।
2. यह प्रस्ताव किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण उपाय है। गांव में सरकारी खाद, दवा एवं बीज की दुकान का स्थापना किसानों को उचित और गुणवत्ता वाले प्रोडक्ट्स की आसानी से पहुंच प्रदान करेगा। यह उन्हें अधिक उत्पादन के लिए उत्साहित करेगा और उनकी खेती को सुरक्षित और सफल बनाने में मदद करेगा।
3. विशेष रूप से, खाद, दवा और बीज पूर्णतः ब्याज मुक्त होने से किसानों की आर्थिक बोझ कम होगा और उन्हें अधिक लाभ होगा। इससे वे अधिक उत्पादन कर सकेंगे और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। इसके अलावा, खाद, दवा और बीज की ब्याज मुक्ति से किसानों को आर्थिक स्वतंत्रता और स्थिरता मिलेगी, जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा और वे अपने कृषि उत्पादन को बेहतर तरीके से प्रबंधित कर सकेंगे।
डॉ। स्वामी नाथन, एक प्रमुख स्वास्थ्य चिकित्सक और स्वास्थ्य परामर्शक हैं, जिनका उद्देश्य लोगों को स्वस्थ जीवनशैली की दिशा में मार्गदर्शन करना है। उनका विशेषज्ञता क्षेत्र स्वास्थ्य और रोग प्रबंधन, जीवनशैली परिवर्तन और आहार विज्ञान में है। उनका दीर्घकालिक अनुभव और संवेदनशीलता लोगों को होलिस्टिक स्वास्थ्य देखने का आदान-प्रदान करते हैं। उनकी वेबसाइट एक साधारित स्वास्थ्य जीवनशैली, रोग प्रबंधन और पूर्णता की दिशा में साकारात्मक सूचना और सुझावों से भरी है। डॉ। स्वामी नाथन का अनुभव और विशेषज्ञता लोगों को स्वस्थ और खुश जीवन की दिशा में मदद करने में आगे बढ़ने में सहायक हैं।
                      डॉ। स्वामी नाथन ने किसानों के साथ मिलकर मौद्रिक स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए नीतियों का समर्थन किया है।
                      उन्होंने किसानों को नई तकनीक और कृषि में नवाचार को अपनाने के लिए प्रेरित किया है, जो उनकी उत्पादकता बढ़ाने में मदद कर सकता है।
                      किसानों को उच्च मूल्य नहीं मिलने पर उनकी समस्याओं का समर्थन करने के लिए, उन्होंने सरकार से न्यूनतम समर्थन मूल्यों को बढ़ाने की मांग की है।
                      डॉ। स्वामी नाथन ने किसानों के ऊपर बोझिल ऋणों का समर्थन करने के लिए नीतियों को बनाया है ताकि वे आराम से अपनी किसानी चला सकें।
                      उन्होंने किसानों को नई तकनीकों और स्थानीय उत्पादों के लिए शिक्षा प्रदान करने के लिए कई प्रोग्रामों की शुरुआत की है।
किसानों को अनादिकृत बीज और उचित उपकरण की कमी से भी गुज़रना पड़ता है। ये उनके उत्थान को प्रभावित करता है और उनकी उन्नति को रोकता है। सरकार को किसानों को आधुनिक कृषि तकनीक से रूबरू कराना चाहिए और उन्हें उचित बीज और उपकरण प्रदान करना जरूरी है।
सरकार से प्राथमिक रूप से प्रमुख माध्यम है आधुनिक कृषि यंत्र प्रदान करना। किसानों को उचित बीज और आधुनिक खेती तकनीकों से रूबरू कराने के लिए, सरकार को किसानों को सुखद उपकरण प्रदान करने का प्रयास करना चाहिए।
सरकार को किसानों के लिए आधुनिक बीमा योजना का विकास करना चाहिए, जिससे वे प्राकृतिक आपदाएं या अन्य नुक्सान से बच सकें। इसके लिए, सरकार को बीमा योजनाओं की गहनताओं में सुधार करना होगा और किसानों को इसके लाभ का पूर्ण रूप से अनुभव करने के लिए जागरूक करना होगा।
किसानों के ऊपर अधिक कर्ज होने के कारण, उनका मनोबल गिर जाता है। सरकार को किसानों को कर्ज मुक्त करने का प्रयास करना चाहिए, ताकि वे अपनी खेती को बिना किसी दबाव के सफलता से चला सकें। इसके लिए, सरकार को किसानों को सस्ता कर्ज देना चाहिए और उन्हें कर्ज मुक्ति के लिए योजनाओं को बढ़ावा देना चाहिए।
व्यवस्था में सुधार करके, सरकार किसानों को उनके उत्थान के लिए उच्च दाम प्रदान कर सकती है। आधुनिक तकनीक और व्यवसायी मूल्यों के आधार पर, सरकार को किसानों को बेहतर मंडी व्यवस्था प्रदान करने का प्रयास करना चाहिए।
किसानों को भी सरकार का समर्थन करना चाहिए। वे अपने हकों के प्रति जागरूक रहें और अपने क्षेत्र के विकास में सरकार से मेल-जोल बनाएं रखने का प्रयास करें। किसानों का एक मजबूत संगठन भी सरकार के साथ मिलकर अपनी समस्याओं का समाधान निकालने में मदद करेगा।
सरकार को किसानों के साथ एक नियम और खुला संपर्क बनाना चाहिए। इसे, सरकार किसानों के मनोबल को सुधार सकती है और उनकी समस्याओं का समाधान निकल सकती है।
सरकार को किसानों को उनके अधिकार और सरकारी योजनाओं के बारे में अधिक जागरूक बनाना चाहिए। योजनाओं का सही ढंग से प्रचार करके, किसानों को उनके लाभ का पूर्ण रूप से अनुभव करने में मदद मिल सकती है।
पद्म पुरस्कार भारत सरकार द्वारा प्रतिवर्ष दिया जाने वाला उच्चतम सिविल सम्मान है। इसे 1954 में स्थापित किया गया था। पुरस्कार विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्टता दिखाने वाले व्यक्तियों को सम्मानित करने के लिए प्रदान किया जाता है, जैसे कला, विज्ञान, साहित्य, सामाजिक सेवा, खेल, और यातायात। यह विभिन्न पद्म विभूषण, पद्म भूषण, और पद्मश्री से मिलकर बना होता है, जिनमें विभिन्न श्रेणियां शामिल हैं।
श्री. तुला राम उप्रेती सिक्किम से हैं। वह 98 वर्ष के हैं और उनका एक विशाल संयुक्त परिवार है जिसमें 8 बेटे और 7 बेटियां, 104 पोते-पोतियां और परपोते-पोतियां शामिल हैं। उनकी 5वीं कक्षा तक की शिक्षा तासी नामग्याल हायर सेकेंडरी स्कूल (अब टीएन सीनियर सेकेंडरी स्कूल) में हुई। उन्होंने 25 वर्षों के कार्यकाल के लिए असम लिंग्ज़ी ग्राम पंचायत इकाई के अंतर्गत लिंग्ज़ी वार्ड से एक स्थानीय पंचायत के लिए काम किया है। वह दो बार पंचायत अध्यक्ष रह चुके थे। उनके बेटे केएन उप्रेती 1979-99 तक रेनॉक निर्वाचन क्षेत्र से पूर्व मंत्री और विधायक रहे हैं। उन्हें जैविक खेती पुरस्कार 2023 के लिए सम्मानित किया गया।
चेरुवायल रमन 75 वर्षीय धान किसान हैं जो केरल के वायनाड जिले में रहते हैं। वह कुराचिया के आदिवासी समुदाय से हैं। गांव वाले उसे प्यार से रामेत्तन कहते हैं। जब वह केवल 10 वर्ष के थे तब उन्होंने खेतों में काम करना शुरू कर दिया था। 1969 में अपने चाचा की मृत्यु के बाद उन्होंने धान की खेती को गंभीरता से लिया। उन्होंने अपने चाचा द्वारा छोड़ी गई 40 एकड़ जमीन पर चावल उगाना शुरू किया। उन्होंने 2000 के दशक की शुरुआत में स्वदेशी धान के बीजों को संरक्षित करना शुरू किया।
नेकराम शर्मा 59 वर्षीय किसान हैं। वह हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले की करसोग घाटी में रहते हैं। 1984 में जब वे युवा थे, तब उन्हें सरकारी नौकरी के लिए अस्वीकार कर दिया गया था। ठुकराए जाने के बाद उन्होंने अपने परिवार की 22 बीघे अनुपयोगी जमीन पर खेती शुरू कर दी। उनके द्वारा फल और सब्जियाँ उगाई जाती थीं। प्रयोग के तौर पर उन्होंने जैविक खेती का प्रयास किया। रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग के बिना फसलों की खेती का पूरा ज्ञान प्राप्त करने के बाद, उन्होंने पूरी तरह से प्राचीन कृषि तकनीकों की ओर रुख किया। उनके इस कदम ने उन्हें 2023 पद्मी श्री पुरस्कार का विजेता बना दिया।
पतायत साहू 65 वर्षीय व्यक्ति हैं जो ओडिशा के कालाहांडी जिले के नंदोल गांव में रहते हैं। उनके दादा एक वैद्य (पारंपरिक चिकित्सक) थे। इससे उन्हें औषधीय पौधों में रुचि हो गई और अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने अपने दादा से उपचार पद्धतियां सीखीं। उन्होंने पारंपरिक उपचार विधियों और औषधीय पौधों और उनके उपयोग पर विभिन्न पांडुलिपियां पढ़ीं। शुरुआत में औषधीय पौधों के बारे में सीखना उनका शौक था लेकिन बाद में उन्होंने 40 साल पहले एक औषधीय उद्यान उगाना शुरू किया और समय के साथ इसमें नई प्रजातियाँ जोड़ीं।